श्रुति भारतीय वैदिक परंपरा का सबसे प्राचीन, पवित्र और सर्वोच्च प्रमाण माना गया साहित्य है। "श्रुति" शब्द का अर्थ है – "जो सुना गया है", अर्थात वह ज्ञान जो ऋषियों ने ईश्वर से योगिक स्थिति में श्रवण किया और जिसे पीढ़ी-दर-पीढ़ी मौखिक रूप से संप्रेषित किया गया।
इसे अपौरुषेय (मनुष्य-निर्मित नहीं) माना गया है।
यह वैदिक संस्कृत में रचित है।
इसका संरक्षण गुरुकुल परंपरा में मौखिक श्रवण, पठन और स्मरण के माध्यम से हुआ है।
श्रुति साहित्य को सर्वाधिक प्रमाणिक धर्मग्रंथ माना गया है।
चार वेद –
वेदों को श्रुति साहित्य का मूल स्तंभ माना जाता है:
ऋग्वेद – स्तुतियों व देवताओं के मंत्र
यजुर्वेद – यज्ञ विधियाँ और कर्मकांड
सामवेद – संगीतात्मक मंत्र
अथर्ववेद – आयुर्वेद, तंत्र, साधना और गृहस्थ जीवन संबंधी ज्ञान
ब्राह्मण ग्रंथ –
यज्ञ की व्याख्या, नियम और कर्मकांड संबंधी विवरण।
आरण्यक –
वन में रहने वाले मुनियों द्वारा रचित ध्यान-प्रधान ग्रंथ, जो ब्रह्म ज्ञान की ओर संकेत करते हैं।
उपनिषद –
अद्वैत, आत्मा-ब्रह्म का ज्ञान, वैदिक दर्शन का सार।
इन्हें ही वेदांत भी कहा जाता है।
धर्म, संस्कृति, आध्यात्मिकता और जीवन दर्शन का मूल स्रोत।
भारतीय शिक्षा, योग, ध्यान और तात्त्विक चिंतन का आधार।
गीता, रामायण, महाभारत जैसे स्मृति ग्रंथ भी अंततः श्रुति के सिद्धांतों पर आधारित हैं।
"श्रुति" केवल ग्रंथ नहीं, यह एक जीने की दिशा है – ईश्वर से सीधे जुड़े ज्ञान का अमर स्रोत।